खास बातें
जीवन में 9 ऐसे विशेष वर्ष या पड़ाव होते हैं, जो ग्रह से संबंधित वर्ष माने गए हैं जिन पर उस ग्रह का शुभ या अशुभ प्रभाव विशेष रूप से रहता है। जन्म से लेकर 48 वर्ष की उम्र तक सभी ग्रहों का उम्र के प्रत्येक वर्ष में अलग-अलग प्रभाव होता है।लाल किताब के अनुसार मंगल और बुध मिलकर शनि का रूप ले लेते हैं, शुक्र और बृहस्पति मिलकर भी शनि बन जाते हैं, परंतु इनका स्वभाव केतु के समान होता है। इसका अर्थ यह हुआ कि कुंडली में एक तो वह शनि जो अकेला कहीं किसी खाने में बैठा है, दूसरा मंगल और बुध कहीं भी युति बना रहे हों और तीसरा शुक्र और गुरु कहीं भी युति बनाकर इकट्ठे बैठे हों। इस प्रकार से कुंडली में 3 शनि हुए। जानें कि शनि उम्र के किस पड़ाव पर देता है प्रभाव।
किस ग्रह का उम्र के किस पड़ाव पर रहता है प्रभाव?
जीवन में 9 ऐसे विशेष वर्ष या पड़ाव होते हैं, जो ग्रह से संबंधित वर्ष माने गए हैं जिन पर उस ग्रह का शुभ या अशुभ प्रभाव विशेष रूप से रहता है। जन्म से लेकर 48 वर्ष की उम्र तक सभी ग्रहों का उम्र के प्रत्येक वर्ष में अलग-अलग प्रभाव होता है। 16 से 22 साल में बृहस्पति, 22 से 24 सूर्य, 24 से 25 चंद्र, 25 से 28 शुक्र, 28 से 34 मंगल का प्रभाव सक्रिय होता है। 34 से 36 बुध, 36 से 42 शनि, 42 से 46 तक राहु और 46 से 48 केतु का प्रभाव रहता है। शनि, राहु, केतु और बृहस्पति ये 4 ग्रह हमारे जीवन पर बहुत ज्यादा प्रभाव डालते हैं। शनि का प्रभाव उम्र के 36वें वर्ष में अधिक असरकारक माना गया है जबकि वह कर्मों का फल देना प्रारंभ करता है।
किस उम्र में प्रारंभ होता है शनि का प्रभाव?
लाल किताब के अनुसार शनि ग्रह का असर आयु के 36 से 42 वर्ष के बीच नजर आता है। 34 वर्ष से 36 वर्ष की उम्र तक बुध का प्रभाव रहता है और 36 वर्ष से 42 वर्ष की उम्र तक शनि का प्रभाव रहता है। बुध का संबंध जहां व्यापार और नौकरी से रहता है वहीं शनि का संबंध आपके जीवन के कर्मों और अन्य कई महत्वपूर्ण बातों से रहता है। यही उम्र आपके जीवन में स्थायित्व लाती है। लेकिन यदि आप इस उम्र में भी संघर्षरत हैं तो यह समझा जाएगा की शनि ग्रह का दुष्प्रभाव आप पर लगातार रहा है। यदि मकान वास्तु अनुसार है तो दुष्प्रभाव कम होगा। यदि आपकी कुंडली में शनि नीच का है या उपरोक्त बताए अनुसार 3 शनि है तो आपको निश्चत ही लाल किताब के उपाय करना चाहिए।
शनि के लिए उपाय:-
1. कुत्ते, कौवे और भैंस या भैंसे को रोटी खिलाते रहें।
2. प्रति शनिवार को छाया दान करें।
3. भगवान भैरव को शराब या कच्चा दूध अर्पित करें।
4. दांत साफ रखें और नीम की लकड़ी से मंगल और शनिवार को दातून करें।
5. अंधे, अपंगों, सेवकों और सफाई कर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें और उन्हें भोजन कराएं।
6. भैरव महाराज को कच्चा दूध चढ़ाएं।
7. शमी के पेड़ की सेवा करें।
8. प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ें।
9. घर की पश्चिम दिशा का वास्तु दोष ठीक कराएं।
10. शनिवार को शनि मंदिर में तिल, उड़द, लोहा, तेल, काला वस्त्र और जूता दान करें। शनि अच्छा या उच्च का हो तो न करें।
11. उपरोक्त युति द्वारा बताए अनुसार यदि 2 या 3 शनि है तो आप झूठ बोलना, जुआ खेलना, ब्याज का धंधा करना और शराब पीना तुरंत ही छोड़ दें अन्यथा पछतावे के सिवाय जिंदगी में कुछ भी नहीं रहेगा।
विशेष:
1. यदि शनि कुंडली के प्रथम भाव यानी लग्न में हो तो भिखारी को तांबा या तांबे का सिक्का कभी दान न करें अन्यथा पुत्र को कष्ट होगा।
2. यदि शनि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला का निर्माण न कराएं।
3. यदि शनि अष्टम भाव में हो तो 42 के बाद ही खुद का मकान बनाएं। बना बनाया मकान खरीद सकते हैं।
|| शैली प्रकाश ||